महाकुंभनगर। सनातन धर्म के उत्थान, उसके संस्कार व संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से पांच अखाड़ों ने 17 संतों का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी। महामंडलेश्वर बनने वालों में पीलीभीत की बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक जयदर्थ उर्फ प्रवक्तानंद और एक किन्नर भी शामिल हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल से जुड़कर विधिवत संन्यास लिया। अक्रिय धाम खमरिया पीलीभीत के पीठाधीश्वर प्रवक्तानंद का अखाड़े ने पट्टाभिषेक करके महामंडलेश्वर की उपाधि दी। अब वह महामंडलेश्वर स्वामी प्रवक्तानंद अक्रिय श्रीहरि के नाम से जाने जाएंगे। इनके साथ गुजरात के गांधीनगर की साध्वी डॉ. गीता श्रीहरि को निर्मल अखाड़ा ने महामंडलेश्वर बनाया। अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञान देव सिंह, आचार्य महामंडलेश्वर साक्षी महाराज, सचिव देवेंद्र सिंह शास्त्री सहित समस्त संतों ने दोनों संतों को चादर ओढ़ाकर माला पहनाया। श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा ने राजस्थान उदयपुर के हितेश्वरानंद सरस्वती का पट्टाभिषेक किया।
महामंडलेश्वर की दी गई उपाधि
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने स्वामी विश्वेश्वर भारती, स्वामी अनंतानंद, आनंदवन भारती, स्वामी बलराम पुरी, आत्मवंदना गिरि, स्वामी विष्णु गिरि, स्वामी ऋषि भारती, विश्वेश्वरी माता, स्वामी वीरेंदर गिरि और मनोरमा गिरि का मंत्रोच्चार के बीच अभिषेक किया गया। महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने स्वामी विश्वेश्वर भारती, स्वामी अनंतानंद, आनंदवन भारती, स्वामी बलराम पुरी, आत्मवंदना गिरि, स्वामी विष्णु गिरि, स्वामी ऋषि भारती, विश्वेश्वरी माता, स्वामी वीरेंदर गिरि और मनोरमा गिरि का मंत्रोच्चार के बीच अभिषेक किया गया। महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की।