अब भारत में बनेगी राफेल फाइटर जेट की बॉडी, टाटा समूह की कंपनी ने किया करार

समृद्धि न्यूज। भारत में रफाल लड़ाकू विमानों की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर एक बड़ा समझौता हुआ है। भारत की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और फ्रांस की दैसो एविएशन के बीच लड़ाकू विमान के फ्यूजिलेज बनाने का करार हुआ है। यह पहली बार होगा जब रफाल लड़ाकू विमान के फ्यूजिलेज फ्रांस के बाहर बनाए जाएंगे। फ्यूजिलेज को हाई प्रिसीजन वाले मैन्युफैक्चरिंग माना जाता है।
फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी डसॉ एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने गुरुवार को भारत में राफेल लड़ाकू विमानों की बॉडी (फ्यूजलॉज) बनाने के लिए समझौते का एलान किया। साझेदारी के तहत, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लड़ाकू जेट के प्रमुख हिस्से का उत्पादन करने के लिए हैदराबाद में एक अत्याधुनिक उत्पादन सुविधा स्थापित करेगी। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) ने कहा कि पहले फ्यूजलॉज (विमान का धड़) के वित्तीय वर्ष 2028 में असेंबली लाइन से बाहर आने की उम्मीद है। इस सुविधा से हर महीने दो फ्यूजलॉज के आपूर्ति की उम्मीद है।

क्या होता है राफेल जेट का फ्यूजलाज

राफेल फाइटर जेट में फ्यूजलाज विमान का मुख्य ढांचा है, जो इसका केंद्रीय संरचनात्मक हिस्सा होता है। यह पायलट कॉकपिट, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और हथियारों को जोड़ता है, साथ ही विंग्स और टेल को सहारा देता है। दसॉल्ट एविएशन के अनुसार राफेल का फ्यूजलाज हल्के और मजबूत कम्पोजिट सामग्रियों (जैसे कार्बन और केवलर फाइबर) से बना होता है, जो इसका वजन कम करता है और अधिकतम टेक-ऑफ वजन को खाली वजन के अनुपात में 40 प्रतिशत तक बढ़ाता है। यह डिजाइन उच्च गति को संभव बनाता है। विमान की स्थिरता, एयरो डायनामिक्स और रडोर क्रॉस-सेक्शन को कम करने में महत्वपूर्ण है। राफेल का फ्यूजलाज सर्पेन्टाइन एयर इनटेक और कम्पोजिट सामग्री के कारण रडार डिटेक्शन को कम करता है, जो इसे युद्ध में कम, विजिबल बनाता है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक सुकरन सिंह ने कहा यह साझेदारी भारत की एयरोस्पेस यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में संपूर्ण राफेल का उत्पादन टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की क्षमताओं में बढ़ते भरोसे और डसॉल्ट एविएशन के साथ हमारे सहयोग की ताकत को रेखांकित करता है। यह भारत द्वारा एक आधुनिक, मजबूत एयरोस्पेस विनिर्माण इको सिस्टम स्थापित करने की दिशा में की गई उल्लेखनीय प्रगति को भी दर्शाता है।् यह डील बताती है कि भारत की तकनीक वैश्विक प्लेटफार्मों को सपोर्ट कर सकती है। डसॉ एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा पहली बार राफेल की बॉडी का उत्पादन फ्रांस के बाहर किया जाएगा। यह भारत में हमारी आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

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