शासन के निर्देशों की उड़ रही धज्जियां
सैफई, समृद्धि न्यूज़। शासन की सख्त गाइडलाइनों, एनजीटी के स्पष्ट निर्देशों और प्रशासनिक दावों के बावजूद सैफई तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला वैदपुरा थाना इन दिनों अवैध मिट्टी खनन का गढ़ बनता जा रहा है। हर रात जैसे ही अंधेरा गहराता है, बुलडोजरों की गड़गड़ाहट खेतों की छाती चीरती है और मिट्टी से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सड़कों पर दौड़ने लगती हैं। यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन सब चुप हैं—मानो उन्हें इस गूंगी चीख से कोई सरोकार ही नहीं।
टीम ने जब पड़ताल की, तो नंगला बरी से हवाई पट्टी रोड और ग्राम रकशिया के पास फैले इलाकों में सैकड़ों बीघा खेत खोदे हुए मिले। बुलडोजरों से जमीन को गहराई तक खोद दिया गया है और अब वे खेत खेत नहीं, बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं। वहां खड़े ग्रामीणों ने बताया कि यह सिलसिला महीनो से लगातार चल रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर मिट्टी लेकर रात के समय रवाना होते हैं और सुबह तक हर सबूत मिट्टी की धूल में दबा दिया जाता है।
असली सवाल यह है कि यह सब किसके संरक्षण में हो रहा है? सैफई कस्बे में ही एसडीएम और सीओ का कार्यालय और आवास है, लेकिन उनकी नजर अब तक इस पूरे अवैध कारोबार पर नहीं गई। खनन विभाग का हाल यह है कि न तो किसी प्रकार की जांच हो रही है और न ही कोई कार्रवाई। मानो खनन अधिकारी ने अपनी आंखें और कान दोनों बंद कर लिए हों। क्षेत्रीय लेखपालों की चुप्पी और मौके पर उनकी गैरहाजिरी इस बात को साबित करती है कि राजस्व विभाग भी इस अवैध खनन पर मौन सहमति दे चुका है।
वैदपुरा थाना प्रभारी संजय सिंह की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। गांव के कई लोगों ने बताया कि रात में बुलडोजर की तेज आवाजें सुनाई देती हैं, लेकिन पुलिस मौके पर कभी नहीं पहुंचती। डायल 112 पर कई बार कॉल करने के बावजूद कोई रिस्पांस नहीं मिला। इससे स्पष्ट है कि या तो थाना पुलिस को ऊपर से निर्देश हैं, या फिर आंखें मूंदकर सब कुछ नजरअंदाज किया जा रहा है।
बड़ा सवाल यह भी है कि यह मिट्टी आखिर कहां जा रही है? किसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस स्तर का खनन किया जा रहा है?
क्या यह मिट्टी प्राइवेट निर्माण कार्यों में इस्तेमाल हो रही है? ये सारे सवाल प्रशासनिक जांच की मांग करते हैं।
इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जिले में हाल ही में नए जिलाधिकारी और बरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति हुई है। अब जनता की उम्मीदें इन नए अधिकारियों से जुड़ी हैं कि वे इस अवैध कारोबार को बंद कराएंगे और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की गाइडलाइन के अनुसार बिना वैध अनुमति के एक इंच भी मिट्टी नहीं खोदी जा सकती, लेकिन यहां रात-दिन सैकड़ों बीघा जमीन से मिट्टी निकालकर उसका व्यापार हो रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि खेतों की उर्वरता खत्म हो रही है, भूगर्भ जल स्तर पर भी खतरा मंडरा रहा है।
अब यह देखना अहम होगा कि क्या यह रिपोर्ट प्रशासन को नींद से जगाएगी या फिर बुलडोजर की यह गर्जना इसी तरह हर रात खेतों की चुप्पी तोड़ती रहेगी।