युवा किसान अरुण ने मैदानी इलाके में सेब की खेती कर सभी को चौंकाया

 सरकार से मदद मिली, तो व्यवसायिक स्तर पर ले जा सकते हैं सेव की खेती
राजभूषण सिंह (मोनू)
कम्पिल, समृद्धि न्यूज। नगर के मोहल्ला पट्टी मदारी निवासी युवा किसान अरुण कुमार शाक्य का लगभग दस बीघा खेत कोतवाली कायमगंज के गांव रायपुर में स्थित है। उनके पिता अमर सिंह शाक्य एक रिटायर्ड सरकारी टीचर हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई पोस्ट ग्रेजुएट तक की। इसके बाद वह वही सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गए। सफलता न मिलने पर उन्होंने घर बैठकर यूट्यूब से नई तकनीक से खेती करने का उपाय खोज लिया। उन्होंने अपने खेत में सेव का बाग लगाने का निर्णय लिया। बाग के बारे में जानकारी के लिए वह हिमांचल व कश्मीर भी गए। उन्होंने तीन बीघा खेत के लिए लगभग दो लाख के सेव के पौधे खरीद लिए। 27 दिसंबर 2023 को पौधारोपण कर दिया। लगभग अठारह माह बाद 08 जून 2025 को पहली फसल 21 किलो 600 ग्राम को 110 रुपए किलो के भाव कायमगंज स्थित मंडी में बेच दिया था। अक्टूबर तक लगभग उन्होंने चालीस हजार के सेव बेच दिए। जिससे वह बेहद खुश हैं युवा किसान अरुण शाक्य ने वह कर दिखाया है जिसे अब तक असंभव माना जाता था। उन्होंने ठंडी पहाडिय़ों में उगने वाले फल सेब की सफल खेती मैदानी इलाके में कर सभी को चौंका दिया है। दिसंबर 2023 में अरुण ने हिमांचल प्रदेश से हर्मन 99, अन्ना और डोरसेन गोल्ड किस्म के 300 सेब के पौधे मंगवाए। उन्होंने मात्र दो लाख रुपये में अपनी जमीन पर एक नर्सरी तैयार की और कृषि विशेषज्ञों की मदद से पौधों को लगाया। विशेषज्ञों ने पहले वर्ष एक-दो फल लगने की संभावना जताई थी, लेकिन हर पौधे पर 5 से 7 किलो तक सेब निकल आए। जो किसानों के लिए भी आश्चर्य का विषय बन गया। जैविक तरीके से की खेती, न रासायनिक खाद, न कीटनाशक अरुण ने बगीचे में केवल जैविक खाद का इस्तेमाल किया। किसी भी रासायनिक खाद या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया गया। इससे फल न सिर्फ स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक बने, बल्कि किसी भी प्रकार की बीमारी का प्रकोप भी नहीं हुआ। इस अप्रत्याशित सफलता से उत्साहित अरुण अब 200 और सेब के पौधे लगाने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा वह बादाम की खेती भी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दिशा में उनकी कृषि विशेषज्ञों से बातचीत चल रही है। आसपास के जिलों से लोग देखने आ रहे बाग अरुण का सेब बाग अब स्थानीय आकर्षण का केंद्र बन गया है। उनके गांव ही नहीं, आसपास के जिलों से भी किसान और कृषि विभाग के लोग इसे देखने पहुंच रहे हैं। पहाड़ों से मैदानी इलाकों तकरू सेब की खेती की बदलती तस्वीर अरुण की यह पहल साबित करती है कि अब सेब की खेती सिर्फ ठंडी पहाड़ी जलवायु तक सीमित नहीं रह गई है। यदि पौधों को सही देखभाल और आवश्यक वर्षा और ठंडक दी जाए तो मैदानी क्षेत्रों में भी सेब की सफल खेती संभव है। सरकार से सहयोग की उम्मीद अरुण का कहना है कि यदि सरकार की किसी योजना से उन्हें मदद मिले, तो वे इस खेती को और व्यवसायिक स्तर पर ले जा सकते हैं। इससे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिलेगी और परंपरागत फसलों से आगे बढक़र लाभदायक फलोत्पादन की दिशा में कदम उठाया जा सकेगा।

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